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पुराना मकान -07-Jan-2022

जहां आज सन्नाटा सा पसरा हुआ है
कभी वहां कई जिंदगी बसा करती थी 
गगनचुंबी कंगूरे आसमान से बातें करते थे
दीवारें दुल्हन की तरह सजती संवरती थी 
दरवाजे खुले दिल की तरह खुले रहते थे
खिड़कियां बहू बेटियों की तरह मुस्कुराती थी
आंगन गुलाब की क्यारी सा महकता था 
रसोई से ममत्व की भीनी भीनी गंध आती थी
ड्राइंग रूप दादाजी की तरह रौबीला होता था
बैडरूम से श्रंगार की रोशनी छन छन कर आती थी
हंसी ठिठोली की स्वर लहरियां गूंजती रहती थी
घर में बने मंदिर से घंटियां नया उत्साह भरा करती थी
संस्कारों का वृक्ष फलता फूलता था इस घर में 
हलकी फुलकी डांट तुलसी की तरह निरोगी करती थी । 

बूढ़े मां बाप की तरह बूढ़ा हो गया है वह मकान 
अनुपयोगी, अव्यवस्थित, अप्रचलित , नाकारा
अब उसकी आवश्यकता किसी को भी नहीं है
पुराने मूल्यों की तरह फेंक दिये हैं पुराने रिश्ते 
अब तो सिर्फ मतलब का रिश्ता ही शेष रह गया है
वो पुराना मकान जो कभी "खानदान की शान" था 
आज मां बाप की तरह अपनी बरबादी पे आंसू बहा रहा है

हरिशंकर गोयल "हरि"
7.1.22 


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6 Comments

Seema Priyadarshini sahay

07-Jan-2022 11:37 PM

बहुत खूब

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Hari Shanker Goyal "Hari"

08-Jan-2022 12:22 AM

धन्यवाद मैम

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Swati chourasia

07-Jan-2022 11:57 AM

Very nice 👌

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Hari Shanker Goyal "Hari"

08-Jan-2022 12:22 AM

धन्यवाद मैम

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Abhinav ji

07-Jan-2022 08:30 AM

Nice

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Hari Shanker Goyal "Hari"

08-Jan-2022 12:22 AM

धन्यवाद जी

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